एटा। पत्रकारिता को लोकतन्त्र का चैथा स्तम्भ माना जाता है। कभी पत्रकारिता का पेश बेहद ईमानदारी व सम्मान का हुआ करता था। लेकिन आज कल पत्रकारिता चोर उच्चकों को लिये एक ढाल बन गई है। पत्रकारिता की र्दुर्दशा तो पूरे देश मे हो रही है लेकिन जैसी दुर्दशा एटा जनपद में हो रही है वो दुर्दशा शायद कही नही हैं।
एटा जनपद में अगर आप जेब कतरे हो, सट्टेबाज हो या कोई और गैरकानूनी काम करते हो और आपको पुलिस से डर लगता है तो आप पत्रकार बन जाइये। यकीन मानिये ये आप के लिये एक ढाल की तरह काम करेगी। जेबकतरी, मोटरसाईकिल चोरी के अलावा ये लोग हफ्ता वसूली भी करते हैं। पत्रकारिता के नाम पर एक गैरकानूनी धन्धेबाजों का रैकेट चल रहा है। ये रैकेट पूरी तरह संगठित है। सबके अपने कार्यक्षेत्र हैं किसको सटटेबाजों से पैसे लेना हैं, किसको जेबकतरों से पैसा लेना हैं, किसको मोटरबाइक चोरों से पैसा लेना हैं किसको सरकारी अस्पताल से वसूली करनी हैं सब फिक्स है।
सबसे हैरत की बात तो यह है कि जो खुद को वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं वही ऐसे लोगों को शह भी दे रहे हैं। इसमें उनका भी फायदा है क्योंकि शहर में हो रही दलाली, उगाही का एक निश्चित हिस्सा उन तक पहुॅचता है। इस हिस्से के बदले वे उन्हे सुरक्षा की गारण्टी प्रदान करते हैं। आज शहर में दर्जन भर से ज्यादा पत्रकार ऐसे हैं जिन्हे ठीक से हिन्दी लिखना नही आता और वे जिले के सम्वाददाता बने फिरते हैं।
ऐसा नही हैं कि अधिकारियों या पुलिस को इनकी करतूतों के बारे मे पता नही हैं। लेकिन अधिकारीगण इनके खिलाफ अगर कोई एक्शन लेते हैं तो ये इतने संगठित हैं कि प्रशासन को झुकना पडता है। वहीं आॅफिसों में बाबू व अन्य छोटे कर्मचारियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार में बदनामी के डर से अधिकारी भी शान्त रहना ही उचित समझते हैं और रही बात पुलिस की। तो पुलिस का हाल तो सबको मालूम हैं बतानें की आवश्यकता नही हैं।
आखिर सबाल उठता है कि इसमे ंदोष किसका है। इसमें दोष उन तथाकथित वरिष्ठ पत्रकारों का है जो चन्द रूपयों की खातिर अपने ईमान, अपनी पत्रकारिता का सौदा करके ऐसे चिलमचोरों को पत्रकार बना देते हैं। फिर उनके द्वारा फैलाये गये रायते को भी बडी सफाई से साफ करते हैं। इसमें दोष उन अधिकारीगण का भी है जो थोडी सी मजबूरी के कारण झुक जाते हैं। इसमें दोष हमारे पुलिस प्रशासन का भी है जो ऐसे चोर उचक्को पर डण्डा बजाकर जेल भेजने के बदले उन्हे थाने में बैठने के लिये कुर्सियाॅ देते हैं।
