एटा लाइव एक्सक्लूसिव। बात 25 नवम्बर 2017 की है जब एटा के तत्कालीन जिलाधिकारी अमित किशोर सुबह तडके 4 बजे अचानक अपने अधिकारियों के साथ एटा जिले के बंथल गाॅव में जा पहुॅचे। जिलाधिकारी ये देखना चाहते थे कि क्या वाकई लोग आज भी खेतो में शौंच करने जाते हैं। जिलाधिकारी के इस काफिले में एक शख्स भी मौजूद था जिसका नाम था विजय वर्मा
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| तत्कालीन जिलाधिकारी के साथ सेल्फी लेते हुये विजय वर्मा |
विजय वर्मा यूनाइटेड नेशन्स की जिला एटा में प्रमुख थे। जब तक एटा में जिलाधिकारी अमित किशोर थे विजय वर्मा की एटा में तूती बोलती थी। लेकिन जिलाधिकारी के देवरिया ट्रान्सफर होते ही विजय वर्मा के खिलाफ शिकायत आने लगी। किसी ने शिकायत की कि विजय वर्मा ने काम तो कराया लेकिन पैसे नही दिये। वहीं किसी ने शिकायत की कि नौकरी लगवाने के बदले विजय वर्मा ने रिश्वत ली लेकिन नौकरी नही लगवाई। आइये जानते हैं कि विजय वर्मा कौन हैं और अचानक उनके खिलाफ शिकायतें क्यो आने लगीं।
खुद को इंजीनियर बताने वाले विजय वर्मा एकता बिहार काॅलोनी सिविल लाइन रामपुर के रहने वाले हैं। जागो इण्डिया नाम की एक संस्था के डायरेक्टर भी हैं। कभी इण्डिया अंगेस्ट करेप्शन के रामपुर के संयोजक रहे विजय वर्मा को एक गैस एजेन्सी पर हुये हंगामे के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। कहा जाता है कि विजय वर्मा की अन्ना हजारे से काफी नजदीकि रही। वे टीम अन्ना के उस समय के दिग्गजों अरविन्द केजरीवाल, किरन बेदी डाॅ0 कुमार विश्वास के साथ मंच पर भी नजर आते थे। विजय वर्मा आन्दोलन के बहाने अपनी राजनीतिक जमीन टटोल रहे थे। तभी सत्ता का फेरबदल हुआ भाजपा की सरकार आई और वहीं अन्ना की टीम में भी तोडफोड शुरू हो गई और इण्डिया अंगेस्ट करप्शन का जो क्रेज था वो भी खत्म हो गया ऐसे में विजय वर्मा को जरूरत थी किसी ऐसे मंच की जहाॅ से उनको एक पहचान मिल सके। प्राप्त जानकारी के अनुसार विजय वर्मा ने खुद की भी एक पार्टी बनाई जिस पार्टी के वे राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी बनें। हाॅलांकि बाद में उस पार्टी का क्या हुआ इस के बारे में जानकारी प्राप्त नही हो सकी है।
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| अन्ना हजारे के साथ विजय वर्मा |
रामपुर में अपनी सामाजिक छवि को लेकर विजय वर्मा मीडिया में छाये रहे । जिससे वो उस समय तत्कालीन सीडीओ अमित किशोर के सम्पर्क में आऐ। उसके बाद विजय वर्मा की दोस्ती सीडीओ साहब के साथ गहरी होती चली गई। चूकिं सीडीओ साहब एक आईएएस अफसर थे इसलिये उनका प्रमोशन होना व सरकारी तन्त्र में बडे पद पर जाना तय था। ये बात विजय वर्मा अच्छे से जानते थे इसलिये अपनी दोस्ती पर विजय वर्मा ने कोई भी खटास नही आने दी। उसके बाद सीडीओ साहब को प्रमोशन हुआ तो रामपुर मे ही जिलाधिकारी बन गये। इसके बाद विजय वर्मा की चाॅदी कट गई। हर छोटे बडे समारोह में विजय वर्मा डीएम साहब के आसपास दिखाई देने लगे। इसी बीच चुनाव का वक्त आ गया और भाजपा, बसपा व काॅगे्रस ने जिलाधिकारी पर आरोप लगाया कि वे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर कार्य कर रहे हैं। शिकायत का असर ये हुआ कि अमित किशोर को जिलाधिकारी रामपुर के पद से हटा कर अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी और विशेष सचिव बना दिया गया।
इसके कुछ समय बाद अमित किशोर को एटा में जिलाधिकारी बना कर भेजा गया। अमित किशोर एटा में अकेले नही आये वे अपने साथ लाये थे विजय वर्मा को। विजय वर्मा यूनाइटेड नेशंस की सस्था डब्ल्यूएलएसएससी का जिला समंवयक बना दिया गया। जिला समंवयक एक बहुत बडी पोस्ट नही होती है एटा जिले में और भी कई संस्थाओं/सरकारी योजनाओ के जिला समंवयक तैनात हैं लेकिन विजय वर्मा का रूतवा उन सबमें अलग था। रूतवा कुछ यू था कि लोग विजय वर्मा को मिनी डीएम के नाम से जानने लगे। शुरूआत के दिन होटल माया पैलेस में गुजारे उसके बाद जिला पंचायत के सरकारी बंगले में विजय वर्मा के रहने का इंतेजाम कर दिया गया। इसके अलावा हूटर वाली सरकारी गाडी और एक ड्राइवर विजय वर्मा के सेवा में लगा दिया गया। विजय वर्मा का रूतबा इतना था कि अधिकारी भी विजय वर्मा की कही बात टाल न पाते थे।
एटा में तो शायद ही कोई अधिकारी या पत्रकार ऐसा रहा होगा जो विजय वर्मा को न जानता हो। अगर कोई न भी जानता था तो भी एटा की नुमाइश के बाद जान गया होगा। एटा की नुमाइश में विजय वर्मा हाथ में वायरलैस वाॅकी-टाॅकी लिये तत्कालीन बीएसएस श्याम किशोर तिवारी के साथ अक्सर नजर आते थे। यहाॅ पर एक सन्दर्भ और आपको बता दें कि जब अमित किशोर रामपुर के जिलाधिकारी थे तब श्याम किशोर तिवारी भी रामपुर में बीएसए के पद पर तैनात थे। शायद पुराना कोई लगाव रहा होगा इसलिये प्रर्दशनी का जिम्मा बीएसए साहब को सौप दिया। शुरूआत में एटा की नुमाइश की जितनी तारीफ हुई थी बाद में उससे कहीं ज्यादा छींछालेतन भी हुई थी।
अब जब डीएम साहब का स्थानान्तरण हो गया तो विजय वर्मा के खिलाफ शिकायतों का दौर भी शुरू हो गया। एक के बाद एक शिकायत आने लगी। शहर के अशोक नगर निवासी राजीव कपूर ने आरोप लगाया कि विजय वर्मा ने उनसे काम तो करवा लिया लेकिन उनका भुगतान अभी तक नही किया। इसके अलावा निधौली कला के बन्थल गाॅव के पुष्पेन्द्र कुमार ने भी विजय वर्मा पर आरोप लगाया कि उस निधौली कलां में खण्ड प्रेरक बनाने के लिये विजय वर्मा ने 50 हजार रूपये ले लिये और वापस माॅगने पर अभद्रता और गाली गलौज की। आपको यहाॅ एक सन्दर्भ और बता दें कि पुष्पेन्द्र कुमार उसी गाॅव बंथल का रहने वाला हैं जहा जिलाधिकारी महोदय तडके 4 बजे ही पहुॅच गये थे। इसके अलावा महिला ग्राम पंचायत अधिकारी व ब्लाॅक कर्मचारी भी विजय वर्मा के द्वारा की गई अभ्रदता की शिकायत कर चुके हैं। लेकिन मामले में कुछ नही हुआ। वो एक पुरानी कहावत हैं न कि जब सैंया कोतवाल तो फिर डर काहे का। तो अब कोतवाली बदल चुके हैं नऐ कोतवाल आ चुके हैं। अब देखना ये है कि मामले में क्या होता है।

